दोस्तों आज के इस लेख में हम भारतेन्दु युग के प्रमुख साहित्यकार रहे पंडित बालकृष्ण भट्ट जीवन परिचय यानि बालकृष्ण भट्ट बायोग्राफी और बालकृष्ण भट्ट द्वारा की गई प्रमुख रचनाएँ के बारे में जानकारी देने वाले है। बालकृष्ण भट्ट को आधुनिक हिंदी गद्य का निर्माता कहा जाता है। उन्होंने सामाजिक समस्याओं के बारे में समाज को उजागर करने के लिए बहुत सारे निबंध लेखन, पत्रकारिता के माध्यम से समाज में एक संदेश देने का प्रयास करते रहे।
पंडित बालकृष्ण भट्ट जीवन परिचय | Balkrishna Bhatt Biography in Hindi
Balkrishna Bhatt Biography in Hindi – बालकृष्ण भट्ट का नाम आज हमें अनेक बार सुनने को मिलता है ऐसे में अगर आप बालकृष्ण भट्ट जी के जीवन परिचय को जानना चाहते हैं, इनके जीवन परिचय से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियों को जानना चाहते हैं तो आज इस लेख में हम इनके जीवन परिचय तथा उनके जुडी हुई महत्वपूर्ण जानकारी को जानने वाले हैं।
पंडित बालकृष्ण भट्ट जो वर्तमान समय में गद्य प्रधान कविता के जनक माने जाते हैं वर्तमान समय में इनके बारे में अनेक सारे व्यक्ति जानना चाहते हैं कि आखिर में बालकृष्ण भट्ट जीवन परिचय क्या है? अगर आप का भी यही सवाल है तो इस लेख को अंतिम तक जरूर पढ़ें।
बालकृष्ण भट्ट कौन है? उनका हिंदी गद्य साहित्य में क्या योगदान है?
पंडित बालकृष्ण भट्ट एक नाटककार, उपन्यासकार तथा सफल पत्रकार है हिंदी गद्य साहित्य के निर्माताओं में इन्हें एक विशेष स्थान प्राप्त है इनके द्वारा हिंदी प्रदीप का संपादन किया गया वहीं इनके द्वारा हिंदी वर्धिनी सभा की भी स्थापना की गई इसके चलते उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तके लिखी उन पुस्तकों के द्वारा अनेक प्रकार की प्रेरणा है समाज को मिली तथा अंग्रेजी शासन के समय उनकी किताबों को लेकर कई प्रकार का विवाद भी हुआ।
Balkrishna Bhatt Biography in Hindi – Overview
पूरा नाम | पंडित बालकृष्ण भट्ट |
जन्मतिथि | 3 जुन 1844 |
निवास | प्रयागराज (इलाहाबाद), उत्तरप्रदेश |
पिता का नाम | बेनी प्रसाद भट्ट |
माता का नाम | पार्वती देवी |
भाषा | संस्कृत, फारसी, अंग्रेजी, हिंदी |
नागरिकता | भारतीय |
काल | भारतेंदु युग |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
निधन | 20 जुलाई 1914 |
बालकृष्ण भट्ट का जन्म व परिवार (Balkrishna Bhatt Birth, Family)
बालकृष्ण भट्ट का जन्म 3 जून 1844 ई. भारत देश के उत्तर प्रदेश राज्य के प्रयागराज में हुआ इनके पिता जी का नाम बेनी प्रसाद भट्ट था। बालकृष्ण भट्ट के पिता जी कि रुचि शिक्षा में बहुत ही अधिक थी। इसके अतिरिक्त बालकृष्ण भट्ट की माताजी एक विदुषी महिला थी। जिनके पास बालकृष्ण भट्ट जी के पिता जी से भी अधिक शिक्षा थी जिसके चलते बचपन से ही पंडित बालकृष्ण भट्ट को शिक्षा प्रदान की गई।
बालकृष्ण भट्ट की शिक्षा (Balkrishna Bhatt Education)
जैसा कि बालकृष्ण भट्ट की माताजी पढ़ी-लिखी महिला थी जिसके चलते उन्होंने बालकृष्ण भट्ट को प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही प्रदान की यहां तक कि बालकृष्ण भट्ट ने संस्कृत भाषा का अध्ययन घर पर ही किया इसके बाद में बालकृष्ण भट्ट का एडमिशन अंग्रेजी मीडियम के मिशन स्कूल में करा दिया गया इस स्कूल के द्वारा इन्होंने दसवीं कक्षा तक अपनी पढ़ाई को पूरा किया।
एक बार स्कूल में कोई विवाद हो गया था जिसके चलते इन्होंने स्कूल से अपनी आगे की पढ़ाई नहीं की लेकिन इन्होंने घर पर रहकर ही अनेक भाषाओं का अध्ययन किया जिसमें संस्कृत, फारसी, अंग्रेजी तथा हिंदी शामिल है।
बालकृष्ण भट्ट का करियर (Balkrishna Bhatt Career)
इनके शुरुआती करियर कि अगर हम बात करें तो इन्होंने अपने शुरुआती करियर की शुरुआत कोलकाता में व्यापार के जरिए की लेकिन किसी कारण के चलते वहां उनका व्यापार सही से चल नहीं पाया जिसके चलते यह दोबारा उत्तर प्रदेश में आ गए और वहां उन्होंने ‘जमुना मिशन स्कूल’ में संस्कृत के अध्यापक के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की लेकिन वहां भी कुछ कारण के चलते इन्होंने त्यागपत्र दे दिया।
अब बालकृष्ण भट्ट जी हिंदी साहित्य की सेवा के लिए मन बना चुके थे और इसमें सेवा प्रदान करने लगे जिसके चलते इनके द्वारा एक पत्रिका की स्थापना की गई उस पत्रिका का नाम हिंदी प्रदीप की मानसिक पत्रिका था। बालकृष्ण भट्ट जी यहीं तक सीमित नहीं रहे बल्कि इन्होंने शुक्ला जी और बाबू श्याम सुंदर दास जी के साथ मिलकर हिंदी शब्द सागर के लिए अपनी सेवाएं प्रदान की।
बालकृष्ण भट्ट की रचनाएँ
बालकृष्ण भट्ट जी एक महान निबंधकार थे जिन्हें भारतेंदु काल में एक सर्वोच्च स्थान प्राप्त था। इनके द्वारा अनेक विषय पर अपने विचार व्यक्त किए गए जिनमें सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, नैतिक, राजनैतिक साहित्यिक जैसे विषय शामिल है आज उनके द्वारा लिखे गए पत्र निबंध नाटक तथा उपन्यास आदि काफी सराहनीय है।
बालकृष्ण भट्ट ने अपने पूरे जीवन में लगभग 300 से भी अधिक निबन्ध लिखे हैं जो कि आज मानव समाज को बहुत कुछ जानने में मदद करवाते हैं जैसा कि आज आप इस लेख को पढ़ रहे हैं यानी कि आप एक शिक्षित व्यक्ति है आपने कभी ना कभी बालकृष्ण भट्ट के बारे में जरूर सुना होगा क्योंकि भारतेंदु काल में निबंधकारों में सर्वोच्च नाम इन्हीं का था।
उपन्यास
- नूतन ब्रह्मचारी।
- सौ अजान एक सुजान।
नाटक
- बाल-विवाह
- दमयंती स्वयंवर
- रेल का विकट खेल
- चंद्रसेन
निबन्ध संग्रह
- भट्ट निबन्धावली।
- साहित्य सुमन।
बालकृष्ण भट्ट की भाषा
बालकृष्ण भट्ट ने जितनी भी रचनाएं की है उन सभी में इन्होंने शुद्ध हिंदी का उपयोग किया है वर्तमान समय में उपलब्ध है इनकी संपूर्ण रचनाओं में हमें शुद्ध हिंदी ही देखने को मिलती है यही वह कारण है जिसके चलते हैं भाषा के आधार पर इनका एक बहुत ही बढ़िया स्थान है। बालकृष्ण भट्ट जी के द्वारा जितनी भी कृतियां और रचनाएं बनाई गई है उनके अंतर्गत मिठास लाने के लिए यानी कि अच्छी लगने के लिए उन्होंने आवश्यकता पड़ने पर कहावतो तथा मुहावरों का भी उपयोग किया है।
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बालकृष्ण भट्ट के विचारात्मक निबंधओ की श्रेणियां
अगर हम पंडित बालकृष्ण भट्ट के विचारात्मक निबंधओ की श्रेणियां को जाने तो उन्हें चार भागों में बांटा गया है जिसमें सामाजिक विषय से संबंधित, व्यवहारिक जीवन से संबंधित, साहित्यिक से संबंधित और हृदय की वृत्तियां पर आधारित है।
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FAQs – Balkrishna Bhatt Biography in Hindi
प्रश्न 1: बालकृष्ण भट्ट की मृत्यु कब हुई?
उत्तर: बालकृष्ण भट्ट की मृत्यु 20 जुलाई 1914 को हुई।
प्रश्न 2: बालकृष्ण भट्ट जी के द्वारा लिखे गए दो निबंध के नाम क्या है?
उत्तर: भट्ट निबंधमाला , आत्मगौरव
प्रश्न 3: बालकृष्ण भट्ट जी का पूरा नाम क्या है?
उत्तर: कृष्ण भट्ट जी का पूरा नाम पंडित बालकृष्ण भट्ट जी है।
प्रश्न: बालकृष्ण भट्ट का जन्म कब हुआ था?
उत्तर: 03 जून 1988
निष्कर्ष – बालकृष्ण भट्ट जीवन परिचय
आज के इस लेख में हमने बालकृष्ण भट्ट जीवन परिचय विस्तारपूर्वक जाना है हम उम्मीद करते हैं कि बालकृष्ण भट्ट जी के जीवन से जुड़ी हुई संपूर्ण जानकारी आपको प्राप्त हो चुकी होगी अगर बालकृष्ण भट्ट के जी के जीवन से जुड़ी कोई अन्य जानकारी आपको जाननी है तो उसके लिए आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
बालकृष्ण भट्ट जीवनी जानने के बाद अगर आप किसी अन्य व्यक्ति के जीवन परिचय को जानना चाहते हैं तो उसके लिए आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं ताकि हम उनके जीवन परिचय से संबंधित जानकारी को भी आपके लिए लेकर आ सके।