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बाल विवाह पर निबंध | Bal Vivah par Nibandh in Hindi [Essay on Child Marriage]

बाल विवाह पर निबंध: प्राचीन समय से चली आ रही बाल विवाह प्रथा जो आज भी हमारे समाज में कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में चल रही है। लेकिन समय के साथ – साथ अब इस कुप्रथा का अंत होते जा रहा है। आज के इस लेख हम इस कुप्रथा यानि बाल विवाह पर निबंध [Essay on Child Marriage in Hindi] लिखने जा रहे है।

500 शब्दों का बाल विवाह पर निबंध/ स्पीच

भारत की मूल सांस्कृतिक परंपरा में विवाह संस्कार को एक बहुत ही महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है। इस विवाह संस्कार को एक पवित्र बंधन की तरह माना जाता है जिस बंधन में एक दूसरे के प्रति समर्पण और प्रेम का भाव होता है। इस बंधन में किसी प्रकार की जरूरत नहीं होती। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया तो इस विवाह संस्कार जैसे पवित्र संस्कार में भी कुछ विकृतियां शामिल होती चली गई।

विवाह संस्कार की सबसे बड़ी विकृति और कुरीति यदि कोई है तो वह है बाल विवाह (Essay on Child Marriage)। भारत में बीते कुछ सैकड़ों साल से बाल विवाह की परंपरा ने काफी तेजी से प्रचलन हासिल किया था। जिसके चलते कई सारे अभिभावक अपने बच्चों के बाल्यावस्था में ही उनका विवाह करवा देते थे। ऐसा करने के कई सारे दुष्परिणाम हो सकते हैं। यह जब तक ध्यान में आया तब तक काफी समय बीत चुका था।

बाल विवाह पर निबंध |  Essay on Child Marriage in Hindi

क्या होता है बाल विवाह? [What is the Child Marriage?]

बाल विवाह के नाम से ही हम समझ जाते हैं कि यह छोटे बच्चों की शादी करवाने वाली परंपरा है। कानूनी तौर पर शादी के लिए लड़का और लड़की दोनों बालिग होने चाहिए। इसकी भी एक आयु सीमा निर्धारित की गई है जिसमें लड़की की उम्र न्यूनतम 18 वर्ष और लड़के की उम्र न्यूनतम 21 वर्ष होनी चाहिए। यदि इससे कम आयु में बच्चों का विवाह करवा दिया जाता है तो उसे बाल विवाह कहा जाता है।

विशेष तौर पर ग्रामीण इलाकों में बाल विवाह का प्रचलन काफी ज्यादा देखने को मिला। लेकिन समय की आवश्यकता के अनुरूप और लोगों में बढ़ती साक्षरता को देखते हुए बाल विवाह के ऊपर सरकार ने सख्ती बरती। जिसके बाद न्यायालय के माध्यम से बाल विवाह रोकथाम अधिनियम साल 2006 में लागू किया गया। इसके बाद काफी हद तक बाल विवाह परंपरा में कमी देखने को मिली।

क्यों कराए जाते हैं बाल विवाह?

बाल विवाह करवाने के पीछे कई सारे अलग-अलग कारण हो सकते हैं। सबसे प्राथमिक कारण तो यही है कि यह एक कुरीति है जो काफी लंबे समय से समाज में चली आ रही है। लोगों में साक्षरता की कमी की वजह से इस कुरीति को आंख बंद करके अपनाया गया। लेकिन धीरे-धीरे जैसे जैसे लोग साक्षर होते गए वैसे वैसे इस कुरीति के प्रति लोगों की आंखें खुलती चली जा रही है।

बाल विवाह कई मामलों में दबाव के चलते भी किया जाता है। इसके अलावा कई बार ऐसा भी देखा गया है कि किसी लड़की के अभिभावकों के ऊपर भारी कर्ज होने के चलते उन्होंने अपनी बेटी की बाल्यावस्था में ही उसकी शादी किसी अधेड़ उम्र के व्यक्ति से करवा दी।

कुछ मामलों में ऐसा भी उदाहरण देखने को मिला है जिसमें बचपन में ही पैदा होने के तुरंत बाद बच्चों के अभिभावक अपने बच्चों का रिश्ता जोड़ देते हैं। जिसे सांस्कृतिक मान्यता का नाम दिया जाता है। लेकिन अब इस कुरीति के खिलाफ समाज में काफी हद तक जागरूकता फैल रही है।

बाल विवाह कुप्रथा किसी एक धर्म से जुड़ी हुई नहीं है। इस कुप्रथा को कई धर्मों में देखा गया है और समाज / सरकार द्वारा इस पर रोक लगायी गई है।

बाल विवाह के दुष्परिणाम

बाल विवाह करवाना तो वैसे लोगों को काफी पसंद आता था। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि ऐसा करने से लड़का और लड़की दोनों अपनी यौवन अवस्था में आने पर कहीं भटक नहीं सकते। लेकिन बाल विवाह करवाने के कई सारे दुष्परिणाम भी सामने आ चुके हैं।

  • बाल विवाह करवाने की वजह से बच्चों के व्यक्तित्व का विकास ही नहीं हो सकता। बचपन में ही घर गृहस्ती जैसे प्रपंच में पढ़कर बच्चों का बचपन मानो कहीं गुम हो जाता है। विवाह बंधन में एक दूसरे के प्रति क्या कर्तव्य होते हैं बच्चों को समझ नहीं आते जिसके चलते इन बच्चों का व्यक्तित्व विकास कि नहीं कर पाता।
  • इसके अलावा बाल विवाह की वजह मात्र से शिशु मृत्यु दर में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है। छोटी उम्र की लड़कियों के शरीर का ठीक ढंग से विकास नहीं होने के कारण और इतनी छोटी उम्र में गर्भावस्था धारण करने के कारण कई सारे उदाहरण ऐसे देखने मिले हैं जिसमें माता और शिशु दोनों की मौत का प्रमाण बढ़ता दिखाई दिया है।
  • इसके अलावा लड़की के शरीर का ठीक ढंग से विकास नहीं हो पाने के कारण पेट में पल रहे बच्चे के विकास में भी अवरोध उत्पन्न होता है। इसी वजह से कई उदाहरण ऐसे भी देखने मिले हैं जिसमें बाल विवाह के चलते अविकसित बच्चे पैदा हुए हैं।
  • ऐसा नहीं है की बाल विवाह का प्रभाव केवल लड़कियों पर पड़ता था। इसका दुष परिणाम लड़कों को भी भुगतना पड़ता था क्योकि पढ़ाई करने और अपने भविष्य को बनाने के समय में ही उन पर परिवार की जिम्मेवारी पड़ जाती थी।

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बाल विवाह के खिलाफ कानूनी प्रावधान

जैसा कि हमने पहले ही बताया साल 2006 में बाल विवाह निषेध में उच्च न्यायालय के द्वारा कानून पारित किया गया। इस कानून के तहत बाल विवाह करवाने उससे संबंधित लोगों के ऊपर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाती है। यदि आप अपने बच्चों का बाल विवाह करवाते हैं तो आपको निम्नलिखित परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

  • यदि किसी मामले में लड़के की उम्र 18 से ज्यादा और लड़की की उम्र 18 से कम है तो ऐसे में उस लड़के को 2 साल की कैद और एक लाख तक का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।
  • जिस जोड़े की शादी हो रही है उसमें से जो नाबालिक है उसे समझ आने पर वह उस शादी को रद्द करवाने के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सकता है। फिर चाहे वह 2 साल बाद ही क्यों ना अर्जी दें, या बालिग होने के बाद ही क्यों ना अर्जी दे।
  • इसके अलावा जो माता-पिता या अभिभावक बाल विवाह करवाते हैं, या फिर जो मौलवी या पंडित भी बाल विवाह करवाते हैं ऐसे सभी को जांच में दोषी पाए जाने पर एक लाख तक का जुर्माना और 2 साल तक की कैद हो सकती है।
  • इसके अलावा जो लोग बाल विवाह जैसी कुरीतियों को बढ़ावा देने का काम करते हैं और ऐसे बाल विवाह में सहयोग देने का काम करते हैं उन्हें भी 2 साल तक कैद और 1 लाख का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।

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कैसे रुकेगा बाल विवाह?

बाल विवाह को रोकने के लिए सरकार ने और न्यायालय ने कानून तो बना दिया है। लेकिन बावजूद इसके आज भी देश के कुछ ऐसे इलाकों में बाल विवाह में हो रहे हैं जहां पर साक्षरता का प्रमाण काफी कम है। इसलिए बाल विवाह को रोकने के लिए सबसे पहले लोगों को साक्षर बनाना जरूरी है।

इसके अलावा बाल विवाह को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर सामाजिक क्रांति और जनजागृति की भी काफी ज्यादा आवश्यकता है। क्योंकि जो काम कानून से नहीं हो सकते वह काम आम लोगों के बीच जनजागृति करने से हो जाते हैं।

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निष्कर्ष [बाल विवाह पर निबंध]

Bal Vivah par Nibandh in Hindi: बाल विवाह एक गलत परंपरा है जिससे दो बच्चों का जीवन बर्बाद हो सकता है। इस बात को Essay on Child Marriage के इस लेख में समझाने का प्रयास किया गया है। इसलिए ऐसी प्रथा के खिलाफ सामाजिक तौर पर मजबूती से काम करने की जरूरत है। क्योंकि जब तक ऐसी कुरीतियों के खिलाफ सारा समाज एकजुट नहीं होगा तब तक यह सारी कुरीतियां समाज में चलती ही रहेगी।

FAQs बाल विवाह पर निबंध से जुड़े कुछ सवाल

प्रश्न 1: बाल विवाह क्या हैं?

उत्तर: बाल विवाह छोटे बच्चों की शादी करवाने वाली एक कुप्रथा है। लड़की की उम्र न्यूनतम 18 वर्ष और लड़के की उम्र न्यूनतम 21 वर्ष से कम होने पर उनकी शादी करना कानून अपराध हैं और इसे ही बाल विवाह कहां जाता हैं।

प्रश्न 2: बाल विवाह के क्या कारण हैं?

उत्तर: बाल विवाह के कई कारण जैसे परिवार का गरीब होना, दहेज, साक्षर न होना, सांस्कृतिक परंपराएँ, धार्मिक और सामाजिक दबाव, आदि।

प्रश्न 3: हम बाल विवाह कुप्रथा को रोकने के लिए क्या कर सकते हैं?

उत्तर: बाल विवाह जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए सबसे पहले पुरे समाज को जागरूक होना होगा। परिवार का शिक्षित होना भी इस कुप्रथा को रोकने में मदद करता हैं। इससे निपटने के लिए और कठोर कानून लाया जाना चाहिए और समाज को इस कुप्रथा को रोकने के लिए सरकारों का सहयोग करना चाहिए।

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