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बाल गंगाधर तिलक पर निबंध (500 शब्द) Bal Gangadhar Tilak par Nibandh

बाल गंगाधर तिलक पर निबंध: दोस्तों आज के इस लेख में हम भारत देश के राष्ट्रवादी भारतीय नेता और स्वतंत्रता सेनानी रहे श्री बाल गंगाधर तिलक पर निबंध (500 शब्द) Bal Gangadhar Tilak par Nibandh हिंदी में लिख कर आपके साथ जानकारी साँझा की है। बाल गंगाधर जी को “लोकमान्य” के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म 23 जुलाई 1856 को हुआ था और 1 अगस्त 1920 को उन्होंने अंतिम साँस ली थी।

बाल गंगाधर तिलक पर निबंध (500 शब्द) | Essay on Bal Gangadhar Tilak in Hindi

भारत के स्वतंत्रता सेनानियों में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का नाम आज भी बड़े सम्मान से लिया जाता है। बाल गंगाधर तिलक को भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का जनक भी माना जाता है। और उन्होंने भारत की आजादी के लिए ‘स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर रहूंगा’ का नारा दिया था। 

वो लोकमान्य के नाम से मशहूर बाल गंगाधर तिलक ही थे, जिन्होंने इस नारे के साथ करोड़ों भारतीयों को आजादी के लिए प्रेरित किया था। बाल गंगाधर तिलक बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे एक शिक्षक, वकील, सामाजिक कार्यकर्त्ता, स्वतंत्रता संग्रामी, नेशनल लीडर थे। उन्हें इतिहास, संस्कृत, खगोलशास्त्र और  गणित में महारथ हासिल थी। 

बाल गंगाधर तिलक का जीवन परिचय

बाल गंगाधर तिलक का जन्‍म 23 जुलाई, 1856 को महाराष्‍ट्र के रत्‍नगिरि में चिखली नाम के एक गांव में हुआ था। उनके जन्म का नाम केशव गंगाधर तिलक था। पिता गंगाधर रामचंद्र तिलक संस्‍कृत विद्वान और प्रसिद्ध शिक्षक थे, जो बाद में स्कूलों के निरीक्षक बन गए। बाल गंगाधर ने सोलह वर्ष की आयु में अपनी मैट्रिक की परीक्षा पास की और उसके तुरंत बाद शादी कर ली। 

गंगाधर की शादी 10 साल की लड़की तापिबाई से हुई थी, जिनका नाम बाद में सत्यभामा हो गया। लेकिन इस बीच उन्होंने अपने पिता को खो दिया। अपने पिता की मृत्यु के बाद तिलक ने साल 1877 में पुणे के डेक्कन कॉलेज से बीए की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने साल 1879 में गवर्नमेंट लॉ कॉलेज मुम्बई से लॉ की डिग्री प्राप्त की। भारत के इतिहास में तिलक वो पीढ़ी थे, जिन्होंने मॉडर्न पढ़ाई की शुरुआत की थी। 

बाल गंगाधर तिलक पर निबंध (500 शब्द) | Essay on Bal Gangadhar Tilak in Hindi

बाल गंगाधार तिलक का करियर (Bal Gangadhar Tilak Career)

गंगाधर तिलक ने वकालत की डिग्री तो हासिल की, लेकिन कभी एक प्रोफेशन के तौर पर वकालत को कभी नहीं चुना। ग्रेजुएशन करने के बाद, तिलक पुणे के एक प्राइवेट स्कूल में  गणित के टीचर बन गए। इसके कुछ समय बाद स्कूल छोड़कर वे पत्रकार बन गए। दरअसल, उस वक्त बाल गंगाधर देश में चल रही गतिविधियों से बहुत आहात थे, वे इसके लिए बड़े रूप में आवाज उठाना चाहते थे।  

साल 1881 में बाल गंगाधर तिलक ने दो पत्रिकाओं की शुरुआत की, ‘केसरी’ मराठी में और ‘मराठा’ अंग्रेजी में। थोड़े समय में ही ये दोनों समाचार पत्र बहुत प्रसिद्ध हो गए। अपने इन समाचार पत्र में तिलक भारत की दुर्दशा पर अधिक लिखा करते थे।  वे लोगों के कष्टों का और वास्तविक घटनाओं की तस्वीर को इसमें छापते थे। गंगाधर जी सबसे कहा करते थे कि अपने हक़ लिए सामने आकर लड़ो। 

बाल गंगाधर तिलक भारतियों को उकसाने के लिए उग्र भाषा का इस्तेमाल किया करते थे।  इसके बाद साल 1885 में उन्होंने डेक्कन एजुकेशन सोसायटी की स्थापना की। इस वक्त तक गंगाधर तिलक ने भारत को अंग्रेजों के चंगुल से स्वतंत्र करने का निर्णय कर लिया था और भारत को स्वतंत्र करने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली थी। उन्होंने भारत को स्वतंत्र करने के लिए आंदोलन करने शुरू कर दिए।

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बाल गंगाधर तिलक का राजनैतिक सफर (Bal Gangadhar Tilak Political Career)

अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए बाल गंगाधर जी ने साल 1890 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी को ज्वाइन किया। महात्मा गाँधी के आने से पहले अंग्रेज बाल गंगाधर तिलक को ही भारतीय राजनेता के रूप में जानते थे। फिर साल 1897 में तिलक पर अपने भाषण के द्वारा अशांति फ़ैलाने और सरकार के विरोध में बोलने के लिए चार्जशीट फाइल हुई। जिसके लिए तिलक को जेल जाना पढ़ा और डेढ़ साल बाद वे 1898 जेल से बाहर आए। ब्रिटिश सरकार उन्हें ‘भारतीय अशांति के पिता’ कहकर संबोधित करती थी। जेल में रहने के दौरान उन्हें सभी देश का महान हीरो कहकर बुलाते थे। 

राष्ट्रीय आंदोलन मे भागीदारी (Participation in National Movement)

जेल से आने के बाद तिलक ने स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत की।  समाचार पत्र और भाषण के जरिए वे अपनी बात महाराष्ट्र के गाँव-गाँव तक पहुंचाते थे। इस समय कांग्रेस पार्टी के अंदर गर्मागर्मी बढ़ गई थी, विचारों के मतभेद के चलते ये दो गुटों में बंट गई थी। एक  नरमपंथी और दूसरा गरमपंथी। गरमपंथी बाल गंगाधर तिलक द्वारा चलाया जाता था, जबकि नरमपंथी  गोपाल कृष्ण के द्वारा। 

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लाल-बाल-पाल का जन्म

गरमदल स्वशासन के पक्ष में थे, जबकि नरमपंथी सोचते थे कि समय अभी ऐसी स्थिति के लिए परिपक्व नहीं है। दोनों एक- दूसरे के विरोधी थे, लेकिन उद्देश्य एक ही था, भारत की आजादी। बाल गंगाधर तिलक बंगाल के बिपिन चन्द्र पाल एवं पंजाब के लाला लाजपत राय का समर्थन करने लगे थे। यहीं से ये तीनों की तिकड़ी ‘लाल-बाल-पाल’ नाम से जानी जाने लगी। 

इसके बाद साल 1909 में बाल गंगाधर तिलक ने अपने पेपर केसरी में तुरंत स्वराज की बात कही और ये नारा दिया कि ‘स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा’। इसके बाद उन पर राजद्रोह का आरोप लगा और उन्हें 6 साल की जेल हो गई, और उन्हें बर्मा भेज दिया गया।  

तिलक 8 जून 1916 को जेल से बाहर आए।  जेल से बाहर आने के बाद भी उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के लिए जंग जारी रखा। जेल से लौटने के बाद, उन्होंने होम रूल आंदोलन शुरू किया। वह 1918 में इंग्लैंड का दौरा करने वाले होम रूल लीग के प्रतिनिधियों में से एक थे।

बाल गंगाधर तिलक द्वारा सामाजिक योगदान

तिलक एक महान समाज सुधारक भी थे। उन्होंने  बाल विवाह का विरोध किया और विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया था। बाल गंगाधर तिलक ने ही गणेश उत्सव को एक सार्वजनिक त्योहार के तौर पर मनाने की शुरुआत की थी। उन्होंने ऐसा किया था ताकि लोग बिना किसी मतभेद के एक जगह इकट्ठा और ऐसा ही हुआ। 

वह भारतीय विरासत के एक महान प्रेमी थे और शिवाजी के प्रति आदरभाव रखते थे। तिलक ने योग, कर्म और धर्म जैसे शब्दों का परिचय दिया और हिन्दू विचारधारा के साथ मिलकर स्वतंत्रता संग्राम मे हिस्सा लेने को कहा। उनका स्वामी विवेकानंद के प्रति बहुत नजदीकी लगाव था और वह उन्हे एक अपवाद हिन्दू उपदेशक और उनके उपदेशों को बहुत प्रभावकारी मानते थे। दोनों एक दूसरे के बहुत करीब से जुड़े थे। 

यह भी पढ़े: बाल विवाह पर निबंध

बाल गंगाधर तिलक रचना 

  • ‘द ओरिओन’ (The Orion)
  • द आर्कटिक होम ऑफ द वेदाज (The Arctic Home in the Vedas, 1903)
  • श्रीमद्भगवद्गीता रहस्य (माण्डले जेल में) – 1915
  • वेदों का काल और वेदांग ज्योतिष

बाल गंगाधर तिलक मृत्यु (Death of Bal Gangadhar Tilak)

भारत माता की स्वतंत्रता पाने की लड़ाई में बाल गंगाधर तिलक अपने जीवन भर कार्यरत रहे। 1 अगस्त 1920 को उनकी मुंबई में अचानक मृत्यु हो गई। उन्हें हमेशा उनके शब्दों के लिए याद किया जाएगा। गंगाधर तिलक उन महानतम भारतीय नेताओं में से एक थे जिन्होंने विदेशी शासन के खिलाफ जनता को जागरुक किया और नेताओं को विदेशी शासन के खिलाफ भड़काया।  

उन्हें देशभक्ति, समाज सेवा और बलिदान की भावना से प्रेरित किया। बाल गंगाधर तिलक ने स्वराज हासिल करने के लिए बहुत से काम किए, स्वतंत्रता सेनानियों में उनका नाम हमेशा याद किया जाता रहेगा। 

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सारांश – बाल गंगाधर तिलक पर निबंध

बाल गंगाधर तिलक जी एक सच्चे स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने भारत देश की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन तक न्योछावर कर दिया। उन्होंने एक स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार, अध्यापक और एक समाज सुधारक के रूप में अपना कर्त्वय अच्छे से निभाया। उनके अंदर देश को आजाद करने की देशभक्ति और राष्ट्रवाद के कारण भारत देश का महात्मा गांधी के बाद सबसे लोकप्रिय नेता बना दिया था। दोस्तों आशा करता हूँ की बाल गंगाधर तिलक पर निबंध | Bal Gangadhar Tilak par Nibandh | Essay on Bal Gangadhar Tilak in Hindi के सम्बन्ध में दी गयी जानकारी अच्छी लगी होगी। इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।

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1 thought on “बाल गंगाधर तिलक पर निबंध (500 शब्द) Bal Gangadhar Tilak par Nibandh”

  1. bal ganga dhar ko koti koti naman karta hu me bharat desh ka wasi hone par garv karta hu jo ese maha saputo ko bharat mata ne janam diya

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