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मक्का मदीना का इतिहास, महत्व और तथ्य [Makka Madina History Facts in Hindi]

इस्लाम धर्म को मानने वालो के लिए मक्का मदीना एक बहुत ही पवित्र स्थान है। आज हम मक्का मदीना का इतिहास, महत्व और इससे जुड़े तथ्य [Makka Madina History Facts in Hindi] और भी बहुत सारी बातों को इस ब्लॉग के माध्यम से आपको बताने वाले है।

मक्का मदीना का इतिहास | Makka Madina History Facts in Hindi

मक्का मदीना जिसे मुसलमानों के लिए जन्नत का दरवाजा कहा जाता है। दुनिया का लगभग हर मुसलमान अपनी जिंदगी में एक बार तो जरुर यहां जाना चाहता है। वैसे भी इस्लाम में ये कहा जाता है कि जो भी मुसलमान शारीरिक और आर्थिक रुप से सक्षम हो, उसे एक बार यहां जरूर आना चाहिए। 

हर साल यहां लाखों की तादाद में लोग हज या उमरा करने आते हैं। आपने भी कई जगहों पर मक्का मदीना की तस्वीरें और वीडियोज देखीं होगीं, जिसमें लोगों को इसके चारों ओर नमाज पढ़ते देखा जाता है। कुल मिलाकर देखा जाए तो पूरी दुनिया के मुस्लिम समाज के लिए यह एक आस्था का केंद्र है।

मक्का मदीना का इतिहास, महत्व और तथ्य [Makka Madina History Facts in Hindi]
मक्का मदीना का इतिहास, महत्व और तथ्य

मक्का मदीना का इस्लाम धर्म में महत्व

मक्का मदीना सउदी अरब के हज का शहर है। मक्का साम्राज्य के शासक की राजधानी है। समुद्र सतह से 277 मीटर जिन्ना की घाटी पर शहर से 70 किलोमीटर अंदर स्थित है। इस्लाम धर्म के 5 मुख्य स्तंभों में से एक पवित्र मक्का मदीना को भी माना जाता है।

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है, की जो मुसलमान अपनी जिंदगी में एक बार हज यात्रा करता है, उसे जन्नत नसीब होता है। 

यह स्थान मुसलमानों के लिए खास इसलिए भी है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि पवित्र मक्का मदीना की पावन जमीन से ही पवित्र इस्लामिक ग्रंथ कुरान शरीफ की घोषणा की गई थी। जहां तक बात मक्का की है तो मक्का शहर की विशेषता इसलिए है कि क्योंकि यहां पर काबा मस्जिद स्थित है। काबा मस्जिद काला पत्थर से बना हुआ है। इस्लाम धर्म के अनुयायी काबा मस्जिद के काला पत्थर को चूमते भी हैं। 

काबा मस्जिद इब्राहिम के समय से ही मानी जाती है। हज जाने वाले व्यक्ति का उद्देश्य यह होता है कि वह काबा मस्जिद में नमाज़ पढ़े। इस्लाम धर्म में ये माना जाता है कि काबा मस्जिद में जो भी व्यक्ति नमाज पढ़ता है। वह नमाज अल्लाह के कानो में तुरंत ही पड़ती है।

ऐसा माना जाता है कि अगर आप काबा मस्जिद में नमाज पढ़ेंगे, तब आपका नमाज 1 लाख नमाज के बराबर माना जाएगा।

वहीं जहां तक बात मदीना की है तो माना जाता है कि मुहम्मद पैगंबर के समय सबसे पहली मस्जिद क़ुबा मस्जिद मदीना शहर में बनी थी जो वज्रपात के कारण नष्ट हो गई।  

लेकिन उसी स्थान पर लगभग 850 ईसवी में दूसरी मस्जिद का निर्माण किया गया। मस्जिद अल नबवी जिसे पैगंबर की मस्जिद के नाम से जाना जाता है। यह मस्जिद मदीना शहर में ही स्थित है। मदीना शहर के विषय में ये बताया गया है कि यहां के पेड़ों को काटा नहीं जाना है और साथ ही साथ यहां पर कोई पाप का कार्य नहीं करना है और चोरी नहीं करना है। अगर ऐसा कोई व्यक्ति करता है तब वह अल्लाह और स्वर्ग दूत के अभिशाप को उठाएगा।

आपको बता दे की मक्का मदीना की मस्जिद में एक कुआ भी है जिसमें से 24 घंटे इस कुए से पानी निकलता रहता है। ऐसा कहा जाता है की यह कुआ आजतक सूखा नहीं है। इस कुए के जल को मुसलमान लोग बहुत ही पवित्र पानी मानते है।

मक्का मदीना से जुड़ा इतिहास

इस्लामिक इतिहासकारों के मुताबिक पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का जन्म ईसा पूर्व 570 में मक्का शहर में हुआ था। इसी कारण यह जगह सभी मुसलमानों के लिए बेहद मायने रखता है। आपको बता दें कि पैगंबर का मतलब होता है अल्लाह का संदेशवाहक अर्थात अल्लाह ने जिब्राइल नामक देवदूत से हीरा नामा गुफा में जब अल्लाह के ध्यान में मोहम्मद पैगंबर लीन थे। 

तब उन्हें संदेश दिया गया की कि ”ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुन रसूलुल्लाह अर्थात अल्लाह एक है और मोहम्मद पैगंबर की रसूल हैं अर्थात पैगंबर हैं जो अल्लाह के द्वारा दिए गए संदेश को जनमानस में फैलाएंगे और मानव कल्याण का कार्य करेंगे।

मक्का में ही सबसे पवित्र स्थल काबा मस्जिद है। काबा मस्जिद का निर्माण काले पत्थर से हुआ है। कहा जाता है, कि मक्का के निवासियों और मुहम्मद पैगंबर के विचारों में मतभेद होने की वजह से 620 ईसा पूर्व के आसपास मोहम्मद साहब मक्का से मदीना चले गए थे। 

मुहम्मद पैगंबर साहब का मक्का से मदीना की ओर पलायन करना हिजरी कहलाता है। इस्लाम कैलेंडर में मुहम्मद पैगंबर के इस पलायन के दिन को हिजरी संवत के नाम से भी जाना जाता है। 632 ईसवी में मोहम्मद पैगंबर अराफात के मैदान में लगभग 30,000 अनुयायियों को यह संदेश देते हुए कहा कि पृथ्वी पर उनके आने का उद्देश्य पूरा हो चुका है। संदेश देने की 2 महीने के बाद मदीने में उनकी मृत्यु हो गई। मदीना में मृत्यु के बाद उनके शव को मदीना में ही दफन कर दिया गया। 

मदीना का अर्थ क्या है?

मदीना का अर्थ होता है पवित्र स्थल। पवित्र स्थल से मतलब ये है कि इस्लाम के संस्थापक मोहम्मद पैगंबर की मृत्यु इस शहर में दफनाया गया है। जिसके बाद से अध्यात्मिक के दृष्टिकोण से ये शहर अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। वहीं कुछ साक्ष्यों के मुताबिक ऐसा कहा जाता है, कि पैगंबर मोहम्मद साहब ने इस्लाम धर्म को मजबूत करने और दुनिया में फैलाने के लिए कड़े संघर्ष किए थे।

मक्का मदीना से जुड़े तथ्य

मक्का बाहर से देखने में ये चौकोर भवन की तरह लगता है और उस पर काला लिहाफ़ चढ़ा रहता है। मक्का के चारों तरफ़ मस्जिदें बनी हुई हैं जहां हज या उमरा के लिए आने वाले मुसलमान नमाज़ पढ़ते हैं। मक्का में पैग़ंबर मोहम्मद के पद-चिन्ह भी हैं। यह आने वाले दर्शनार्थी इसके दर्शन करते हैं। 

मक्का में एक काले रंग का पत्थर भी है जिसे चूमकर मुसलमान मन्नत मांगते हैं। मक्का में एक कुआं है जिसका पानी कभी नहीं सूखता। ज़ायरीन इसका पानी घर भी लाकर रखते हैं। बता दें कि करीब 70 साल पहले मक्का पर काला लिहाफ नहीं होता था बल्कि एक खुला स्थान था जहां लोग नमाज़ पढ़ते थे।

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मक्का मदीना की हज यात्रा का समय

मक्का मदीना की हज यात्रा की तारीख इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से तय होती है। हर साल हर यात्रा 5 दिनों की होती है। जो इस्लामिक कैलेंडर के आखिरी महीने धू-अल-हिजाह की आठवें दिन से 12वें दिन तक की होती है।

इन पांच दिनों में जो नौवां धुल हिज्जाह होता है, उसे अरफाह का दिन कहते है। और इसे ही हज का दिन कहा जाता है। अल हिजरा इस्लामिक नया साल होता है। 

इस्लामिक कैलेंडर चंद्र कैलेंडर के हिसाब से चलता है, और इस्लामिक साल ग्रेगोरियन साल से 11 दिन छोटा है। जिस वजह से ग्रेगोरियन की तारीख हज के लिए हर साल बदलती रहती है। सम्पूर्ण विश्व में इस्लामिक तारीख के अनुसार 10 जिल हज को विश्व के कोने- कोने से मुस्लिम इस पवित्र स्थान पर पहुंचते है। जिसे ईद-उल-अजाह कहा जाता है। भारत में इसे सामान्य भाषा में बकरा ईद या बकरीद कहा जाता है। 

यहां हज पूरी करने के बाद उसकी पूर्ण आहुति तब होती है जब सरियत द्वारा मान्य पशु की कुर्बानी दी जाती है। मक्का में मस्जिद-अल-हरम नाम से एक प्रसिद्ध मस्जिद है। इस मस्जिद के चारों ओर पुरातत्विक महत्व के खम्बे है। लेकिन कुछ समय पहले सऊदी सरकार के निर्देश पर इसके कई खम्बे गिरा दिए गए है।

बता दें कि मक्का से मदीना के बीच की दूरी हवाई मार्ग से 339 किलोमीटर है। रोड मार्ग से 439 किलोमीटर है। रेल मार्ग से मक्का और मदीना के बीच की दुरी 453 किलोमीटर है।

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सारांश मक्का मदीना का इतिहास और तथ्य (conclusion)

दोस्तों इस प्रकार आज के इस लेख में हमने मक्का मदीना के इतिहास, मक्का मदीना का महत्व और इससे जुड़े तथ्यों के बारे में जानकारी दी है। आशा करते है की यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। इस वेब पेज को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।

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FAQs – मक्का मदीना का इतिहास [Makka Madina History Facts in Hindi]

प्रश्न: मुसलमान मक्का मदीना क्यों जाते है?

उत्तर: मक्का मदीना मुसलमानों के लिए बहुत ही धार्मिक स्थल माना गया है। यह स्थान हज यात्रा और पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्म स्थान के रूप में प्रसिद्ध है।

प्रश्न: मक्का मदीना में शैतान किसे कहाँ गया है?

उत्तर: मक्का मदीना में ईद-उल-जुहा के त्यौहार के समय शैतान को पत्थर / कंकड़ मारने की रिवाज है। मक्का के नजदीक रमीजमारात में तीन दिनों तक यह रिवाज चलती है और हज यात्री यहां आकर तीन बड़े स्तम्भों को पत्थर मरते है जिन्हें ये शैतान मानते है।

प्रश्न: मक्का मदीना में पहले क्या था?

उत्तर: मक्का आज से 4 हजार साल पूर्व एक निर्जल स्थल था और इसके बाद जमीन से निकली एक पानी की धार ने इस स्थान को बदल कर रख दिया। ऐसा माना जाता है की काबा में इस्लाम धर्म के उदय से पहले मूर्तियों की पूजा होती थी।

प्रश्न: मक्का मदीना मस्जिद को किसने बनवाया था?

उत्तर: इस्लामी मान्यता के अनुसार मक्का की स्थापना अब्राहम एवं नबी इस्माईल के वंश ने की थी।

प्रश्न: पैगम्बर मुहम्मद कौन थे?

उत्तर: पैगम्बर मुहम्मद को इस्लाम धर्म का जनक माना जाता है। 7वीं शताब्दी में पैगम्बर मुहम्मद ने इस शहर में इस्लाम धर्म की घोषणा की थी। उस समय यह शहर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र बन चुका था।

प्रश्न: मक्का मदीना की हज यात्रा क्या है?

उत्तर: इस्लाम धर्म को मानने वाले लोगों के लिए मक्का मदीना की हज यात्रा एक तरह से तीर्थ स्थल की यात्रा है। हज यात्रा पांच दिन में पूरी हो जाती है। हज यात्रा मस्जिद अल हरम में मौजूद काबा मस्जिद के दर्शन करने और मोहम्मद पैगम्बर के जन्म स्थान में प्रार्थना के साथ पूरी हो जाती है।

नोट: मक्का मदीना के इतिहास के बारे में दी गई जानकारी विभिन्न इंटरनेट के स्रोतों से प्राप्त की गई है। हमारा उद्देश्य किसी भी धर्म की भावना को आहत करना नहीं है।

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